การระดมทุน วันที่ 15 กันยายน 2024 – วันที่ 1 ตุลาคม 2024 เกี่ยวกับการระดมทุน

Tamas upanyas

Tamas upanyas

Bhisham Sahni
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आज़ादी के ठीक पहले सांप्रदायिकता की बैसाखियाँ लगाकर पाशविकता का जो नंगा नाच इस देश में नाचा गया था, उसका अंतरंग चित्रण भीष्म साहनी ने इस उपन्यास में किया है। काल-विस्तार की दृष्टि से यह केवल पाँच दिनों की कहानी है, वहशत के अँधेरे में डूबे हुए पाँच दिनों की कहानी, जिसे लेखक ने इस खूबी के साथ बुना है कि सांप्रदायिकता का हर पहलू तार-तार उद्-घाटित हो जाता है और पाठक सारा उपन्यास एक साँस में पढ़ जाने के लिए विवश हो जाता है ।
भारत में सांप्रदायिकता की समस्या एक युग पुरानी हे और इसके दानवी पंजों से अभी तक इस देश की मुक्ति नहीं हुई है। आज़ादी से पहले विदेशी शासकों ने यहाँ की ज़मीन पर अपने पाँव मजबूत करने के लिए इस समस्या को हथकंडा बनाया था और आज़ादी के बाद हमारे अपने देश के कुछ राजनीतिक दल इसका घृणित उपयोग कर रहे हैं। और इस सारी प्रक्रिया में जो तबाही हुई है उसका शिकार बनते रहे हैं वे निर्दोष और गरीब लोग जो न हिंदू हैं, न मुसलमान बल्कि सिर्फ इंसान हैं, और हैं भारतीय नागरिक।
भीष्म साहनी ने आज़ादी से पहले हुए सांप्रदायिक दंगों को आधार बनाकर इस समस्या का सूक्ष्म विश्लेषण किया है और उन मनोवृत्तियों को उखाड़कर सामने रखा है जो अपनी विकृतियों का परिणाम जनसाधारण को भोगने के लिए विवश करती हैं।
หมวดหมู่:
ปี:
1972
สำนักพิมพ์:
Rajkamal Prakashan
ภาษา:
hindi
ISBN 10:
8126715731
ISBN 13:
9788126715732
ไฟล์:
PDF, 16.30 MB
IPFS:
CID , CID Blake2b
hindi, 1972
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